Wednesday, March 21, 2007

Khub Lari Mardaani Wo To Jhaansi Waali Raani Thi

हिल उठा सिंहासन, राजवंशों की भ्रुकूटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई, फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की क़ीमत, फिर सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की, मन में सबने ठानी थी

चमक उठी सन सत्तावन में,
वो तलवार पुरानी थी,
बुनदेलों हरबोलों के मूह
हमने सुनी कहानी थी
ख़ूब लड़ी मरदानी वो तो
झाँसी वाली रानी थी.

कानपुर के नाना की मूँहबोली बहन चबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वो संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वो, नाना के संग खेली थी,
बरछी ढाल कृपाण कटारिक़, इसकी यही सहेली थी.

वीर शिवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी
बुनदेलों हरबोलों के मूह हमने सुनी कहानी थी
ख़ूब लड़ी मरदानी वहा तो झाँसी वाली रानी थी..

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